बस्तर के प्रथम विद्रोह हल्बा क्रांति के बारे में आज तक आप लोग केवल संक्षिप्त में पढ़े होंगे परन्तु आज मै आप लोगों को विस्तृत जानकारी देने वाला हूँ हल्बा विद्रोह 1774-1779 के बारे में तो आप लोगो को इस विद्रोह से जोड़ने से पहले कुछ इतिहास की ओर ले चलता हूँ फिर धीरे धीरे विषय में जोड़ते ले जाऊंगा तो शुरू करते है हल्बा विद्रोह के बारे में जानना
अन्नमदेव ने नाग राज्य के हदयस्थल बारसूर व
"गादीपखना" के नाम से
18 खास-खास हल्बा परिवारों से योद्धा नियुक्त करते थे, वे थे अंतागढ़, नारायणपुर
, छिंदगढ़,
बड़े डोंगर, छोटे डोंगर, बारसूर, बीजापुर, जैतगिरी, भैरमगढ़, मरदापाल, माडपाल, सिहावा और वृन्दानवागढ़
आदि ।
काकतीय शासक प्रतापदेव (1501 - 1524 ई.)
" दलपत देव की सात रानियां थी। बड़ी रानी रामकुंवर कांकेर राजपरिवार से आई थी, उसके पुत्र का नाम अजमेर सिंह था, तीसरी रानी कुसुम कुंवर थी
जिसके पुत्र दरियाव देव था
जो कि दलपत देव के सभी
लोकगीतों में भी देखने को मिलती है-
निमारे वे के दातोन खनानि, डोरि बूमि
दातोन दादाले
बूमि दुकार दुकार रोय दादाले, बूमि ते दुकार
अरितरोय दादाले
हिकाल हुरो भइसो रोय दादाले, सरपरने
भाइसो अरित रोय दादाले
पोदोर पुंगार रोय दादाले, सरपने दोयो अरतु
रोय दादाले,
पुहले देलात खनात रोय दादाले, वेतले मराते
कवराल रोय दादाले.
कवर बोकर इन्त रोय दादाले, रइयक रेवोन
कवराल रोय दादा ले।
दरियावदेव ने जयपुर राजा के साथ एक
जिसके अनुसार उन्हें बस्तर केपाड़, चुरचुंडा, पोड़ागढ़, ओमरकोट य रायगढ़ा सैनिक सहायता के बदले जयपुर को देना था।"
मुरिया लोक गीत में मिलता है-
मुलिर-मुलिर इन्तोनी कारी गुटी अगादा
मुलिर कारी गुर्टी।
रइनीगढ़ दा मुलिर दादा, हुरिंग मुलिर दादा
डोंगर कयांग तरवार दादा, होरमेण्ड
टोरमेण्ड, पूजा रोय कारी गुर्टी,
मिण्डाक टोरा रेयन्दु रोय कारी गुर्टी लुकर
मीनु, कुलनाह रोय कारी गुर्टी।
बारि मीनु तन्नाह रोय कारी गुर्टी मुलिर
मुलिर
इन्तोनी कारी गुर्टी।
"ताड़ झोकनी"
के नाम से याद करते है। बड़े डोंगर के एक शिलालेख से
हल्बा क्रांति के असफलता के कारण
हल्बा क्रांति के असफलता का मुख्य कारण कांकेर राजा का रुष्ट होना व हल्बा सैनिको को राजा अजमेर सिंह द्वारा नजरंदाज किया जाना प्रमुख है जब वे माडिया सैनिको को भरती किया तो एक बार भी हल्बा सेनापतियो से राय मसौरा नही लिया जो हल्बा सैनिको को नागावार गुजरा और यह हार का प्रमुख कारण बना क्योकि जिन माडिया सैनिको की भर्ती राजा द्वारा किया जा रहा था वे बड़े डोंगर राजधानी के खिलाफ थे
निष्कर्ष
लेखक
आर्यन चिराम
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आर्यन चिराम |
सन्दर्भ:-
बस्तर इतिहास एवं संस्कृति:- लाला जगदलपुरी (मध्य पदेश हिंदी ग्रन्थ अकादमी )
बस्तर का मुक्ति संग्राम:- डॉ शुक्ला

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