गीत,कविता और कहानी |
नेता जी{तोषण चुरेन्द्र धनगाँव } Posted: 24 Jan 2021 12:28 AM PST *नेता जी* जब जब अत्याचार बढ़ा। तब तब नव उन्वान चढ़ा। बनकर ढाल जो सुभाष ने, अरि के आगे रौद्र खड़ा। आजादी की खातिर जिसने, खून देने का आह्वान किया। लेकर एक सेना की टुकड़ी, सीना को बढ़कर तान दिया। नेता जी नाम अमर हो गया, नवभारत के नव इतिहास में। ऋणी रहेगा सदा देश अपना, ऋतु तीनों मधु मधुमास में। दिनकर यश गाता मिलकर, ले तिरंगा देश का स्व हाथ में। आओ जयकार करे देश की, हिल मिल कर एक साथ में। तोषण चुरेन्द्र {दिनकर} धनगाँव डौं.लोहारा |
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