🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 माँझी मैं पतवार तू, तू जीवन का सार। पूरे ही संसार का , है तू पालनहार।। प्रेम गली अति साँकरी, गुरु निंदा बेकार। सत-मार्ग पहचान लें, मिथ्या है संसार।। पर नारी ना प्रेम कर, जो माने विद्वान। हुआ नाश है लंक का, जाने सकल जहान।। ये जग ठगनी है बड़ी, जानो चतुर सुजान। दो दिन की है जिंदगी,बिरथा करे गुमान।। लगी लगन है श्याम से ,तके नयन दिन रात । सब के जीवन में कर दे, खुशियों की बरसात।। राम नाम ही सार है, मानो मेरी बात। चार दिनों की चाँदनी, फिर अंधेरी रात ।। राम वही रहमान वही , वही ईश भगवान। मत फिर अंतर ढूंढता, वही पुराण कुरान।। ज्ञान गुरूवर दे मुझे, सीखू छंद विधान। शरण पड़ा तेरे रहूंँ ,कभी न हो अभिमान।। - परमानंद "प्रकाश" गुरूर बालोद छ.ग. |
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शनिवार, 11 अप्रैल 2020
प्रकाश के दोहे
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