गीत,कविता और कहानी |
Posted: 09 Sep 2020 08:12 AM PDT *_जतन अपन गाँव के_...* *************●*********** करलव दीदी ओ करलव भैया गा, जतन अपन गाँव के। कोयली बोली चिंहूँर माते, बर पीपर के ठाँव के। करलव दीदी ओ..... *************●*********** नदियाँ नरवा खेती डोली के, करलव गा तियारी। नाँगर बइला चेत करलव, धनहा अउ बियारी। छुनुर-छुनुर बाजय पइरी, धरती दाई के पाँव के। करलव दीदी ओ.... *************●*********** कातिक आईस कोठी भरगे, भाग हा लहरागे। ओढ़े कमरा डोकरी दाई, हाँड़ा कपकपागे। सगा के संदेश देवय, सुनव कँऊवा काँव काँव के। करलव दीदी ओ.... *************●*********** लाली पिंवरी फूल फूले, भुँइया के फूलवारी मा। सतरंगी फगुवा माते, लइका के किलकारी मा। नंगारा कस बादर गरजे, दनदनादन दाँव के। करलव दीदी ओ.... *************●*********** भुँइया के सिंगार करव, रूख राई लगावव। भारत माता के दुलौरिन, छत्तीसगढ़ ला बचावव। बघवा कस हूंकार देवव, दगदगले हाँव के। करलव दीदी ओ..... *************●*********** रचनाकार:- तोषण चुरेन्द्र दिनकर धनगांव, डौंडी लोहारा बालोद,छत्तीसगढ़ 08/09/20 |
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