छंद:- चंडिका मात्रा 13/13 दो पद चार चरण शुरु होथे सममार के,पूरा मंगलवार के। गणपति हे बुधवार के,गुरु बंदन गुरवार के। संतोषी शुकरार के,हे शनि शनिवार के। दिनकर हे अब साथ में,चमके हे नित माथ में। चंदा चमके रात कुन,मोरो तै बात सुन। पवन चलत हे सर सरर,गरजे बादर घर घरर। तेदूँ महुआ जोर हे,चार डुमर के शोर हे। गरमी दिन के बात हे,भुँइया बड़ चर्रात हे। आमा के हे डार में,कोयल कुहके खार में। आजा तरिया पार रे,देखँव तोल निहार रे। तोषण दिनकर नाँव हे,लोहारा धनगाँव हे। आहू जी सब खरखरा,गाँव तीर हे झरझरा। @तोषण कुमार चुरेन्द्र "दिनकर" |
*परिचय* बेटा जोहर लाल के,तोषण हावय नाँव। तोषण मँय तो लेड़गा,हावँव बड़ मतिमंद। शाला जाथँव रोज मँय,करँव ग्यान के दान। भाई बहिनी चार हम,सबले बड़का आँव। चितरेखा हे संगिनी,बेटा मोर डुमेश। भूल चूक ला दव क्षमा,माँगत हँव कर जोर। "तोषण कुमार चुरेन्द्र " |
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शुक्रवार, 4 सितंबर 2020
शुरू होथे सममार के (चंडिका छंद तोषण कुमार चुरेन्द्र "दिनकर") दिनकर के परिचय
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