गीत,कविता और कहानी |
नरवा गरवा घुरवा बाड़ी(तोषण चुरेन्द्र धनगांव) Posted: 10 Sep 2020 07:56 AM PDT एक प्रयास सादर समीक्षार्थ भाखा:- छत्तीसगढ़िही नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना सरकारी हे,मिले हे कीमत तगड़ा। देख टूरी गोबर बर,मताबे ओ झन झगड़ा।। बिनव जी नंगत गोबर, नेवता झारा झारा। दाम गा मिलही जब्बर,सुनव सब आरा पारा।। योजना नरवा गरवा,हवय अउ घुरवा बाड़ी। बिनव ओ दाई बहिनी,नवा लेवाही साड़ी।। मिले हे दाना पानी,पिये अब खावय गरवा। पोठ हे खातू गोबर,भरे सब नदिया नरवा।। रोज तुम जावव बाड़ी,ध्यान ला बने लमाके। गरीबी मिटही मानो,बने तँय देख कमाके।। सोरियावत हे तोषण ,बात ला सबझन मानव। नीति हे ये सरकारी,सबोझन बढ़िहा जानव।। तोषण चुरेन्द्र दिनकर सरपंच धनगांव डौं. लोहारा |
You are subscribed to email updates from गीत,कविता और कहानी. To stop receiving these emails, you may unsubscribe now. | Email delivery powered by Google |
Google, 1600 Amphitheatre Parkway, Mountain View, CA 94043, United States |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें