गीत,कविता और कहानी |
Posted: 23 Jul 2020 10:46 PM PDT मोर गंवई गांव म, उड़त हावय शोर। बूता बगरे चारों खूँट, सून्ना हे गली खोर।। * ओरी ओरी खेतिहारीन रेंगे, मुड़ म बोहे बासी। खेत खार ह तीरथ लागय, हर हर गंगा काशी।। आने कुजानी करय नहीं,,,,,,,,,,,,,,,! खेते म हावय जोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! मोर गंवई गांव,,,,,,,सून्ना हे गली खोर।। * हरियर हरियर खेत खार संग, हरियर मन हे आगर। चारी चुगली ले दुरिहा रहिथें, मया के भरे हे सागर।। मन उज्जर कोकड़ा के पांखी,,,,,,! मया के नइहे छोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! मोर गंवई गांव के,,,,,सून्ना हे गली खोर।। * पुरवईया संग गीत ह उड़य, सुवा ददरिया करमा। पंथी जस अउ राउत दोहा, सुनले बइठे घर म।। मोर मयारू छत्तीसगढ़ हे,,,,,,,,,,,,,! पांव परत हंव तोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! मोर गंवई गांव के,,,,,सून्ना हे गली खोर।। __________******___________ नोहर आर्य, फरदडीह,जिला बालोद,छत्तीसगढ़ । |
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