गीत,कविता और कहानी |
Posted: 20 Jul 2020 07:04 PM PDT बड़ा गहरा हे पानी तै उतरबे झन । तै दुरिहा ले देख, कुछु करबे झन । पानी के कार-बार, होथे रे खतरा । ऊथलु समझ के बने टमरबे झन । बोले बात ठीक'हे, बने बिचार ले । भरे जवानी मा पगली मरबे झन । भऊजी कहिके चिढ़ाही टुरा मन । मोर गली से अब तै गुजरबे झन । अब जा तै घर बने ढंग से नहाबे । फेर लंद-फंद साबुन चुपरबे झन ।🤣😜 **कृष्णा पारकर** |
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