गीत,कविता और कहानी |
Posted: 21 Jul 2020 08:17 PM PDT दिल धड़कत रहिथे, तोर नाम ले लेके । कईसे कहौं जुबान मे नाम नई आवय । तोर सुरता, मोर जिये के आधार होगे । तोर सुरता के बिना अराम नई आवय । रोजेच घपटे रहिथे, बस दुख के बादर । मोरे अंगना मे काबर' घाम नई आवय । माथा पिरातिस तो मै गोली खा लेतेंव । आंसु बर मोला , रोकथाम नई आवय । पहिली दारू के नशा मे नींद आ जाए । अबतो दारु घलो हर काम नई आवय । **कृष्णा पारकर** |
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