#महुआ महुआ का पेड़ भारत के कुछ राज्यों को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है! महुआ का पेड़ बहुत ही उपयोगी होता है! इसका फूल, फल, पेड़, पत्ता सभी का किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है! महुआ ग्रामीण अंचलों में लोगों की आर्थिक आमदनी का मुख्य स्रोत भी है! इसके फूल एवं फल की बाजार में बहुत तगड़ी मांग है! इसके पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है! महुआ के सूखे फूलों को पीसकर तथा गरम करके बांधने से जोड़ों के दर्द में बहुत फायदा होता है! महुआ के पेड़ की लकड़ी इमारती होती है इसका उपयोग फर्नीचर दरवाजे एवं घर बनाने में किया जाता है!इसकी सूखी लकड़ी का उपयोग ग्रामीण अंचलों में लोग मिट्टी की ईंट के भट्ठे में भी करते हैं इससे ईंट अच्छे से पक कर बहुत मजबूत बनती है! महुआ के फूल और फल में तमाम खनिज पदार्थों की भरपूर मात्रा पायी जाती है!जिस समय सिंचाई के साधन बहुत कम थे तथा अन्न का उत्पादन कम होता था तथा उस समय हरित क्रांति का दौर भी नहीं आया था तो ऐसे समय में महुआ के पेड़ पाये जाने वाले राज्य के लोगों के लिए महुआ का फूल खाद्य सुरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता था! यह लोगों के खानपान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता था! समय में बदलाव आया और लोगों के खानपान में हुए परिवर्तन के परिणाम स्वरूप महुआ का फूल लोगों के खानपान से दूर होता गया! महुआ के फूल से एक पेय पदार्थ बनाया जाता है जिसको महुआ मंद कहते हैं! इसका संतुलित सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है! यह आदिवासियों का एक पारंपरिक पेय होता है! किसी भी सामाजिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन में इसका सेवन किया जाता है! महिलाओं के बच्चा पैदा होने बाद महुआ मंद से पेट पर मालिश करने मांसपेशियां दुरुस्त होती हैं! चोट चपेट लगने पर भी महुआ मंद की मालिश करने से फायदा होता है! महुआ के मंद से सेनेटाइजर भी बनना शुरू हो गया जो आज के समय में कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में सहायक सिद्ध हो रहा है! इससे बना सेनेटाइजर मानव सेहत को कोई नुकसान नहीं करता और ये पूरी तरह से इको फ्रेंडली होता है! महुआ के फूलों को विभिन्न तरीके खाने में उपयोग लाया जाता है जैसे- महुआ लाटा, पुटका, रांधा, खुर्रा, रोटी, गुलगुल भजिया (गुलगुला) आदि। #महुआ_लाटा बनाने के लिए सुखाकर रखे गए महुए को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उसको कड़ाही वगैरह में अच्छी तरीके से भूना जाता है फिर उसमें भुना तिल या भुनी अलसी वगैरह को मिलाकर ढेंकी या ओखली में कूटकर तैयार किया जाता है! #महुआ_रांधा सूखे महुआ को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उसमें भुनी इमली के बीज को भूनने के बाद ढेंकी में कूटकर छिलके वगैरह को साफ करने के बाद पानी मिलाकर अच्छी तरह से उबालकर खाया जाता है! #महुआ_पुटका महुआ पुटका बनाने के लिए सूखे महुआ को अच्छी तरह से साफ करने के बाद उसको पानी में खूब उबाला जाता है फिर ठंडा हो जाने पर महुए को सूती कपड़े में रखकर उसके रस को निचोड़ लिया जाता है और फिर उस महुआ को सुखा लिया जाता है! इसके बाद महुए के निकले रस को गुड़ की तरह उबालकर गाढ़ा करते हैं फिर सुखाकर रखे गए महुए को डालकर तब तक उबालते हैं जब तक वह पूरा सूख न जाए! इस प्रकार से इसको बनाकर रखने से छ सात महीने तक खाया जा सकता है! #खुर्रा महुआ का खुर्रा लाटे के तरीके से ही बनाया जाता है लेकिन उसमें तिल वगैरह नहीं मिलाते हैं न ही ढेंकी या ओखली में कूटाई होती है! महुआ को साफ करने के बाद वैसे ही कड़ाही वगैरह में अच्छी तरह से भूनकर खाया जाता है! #महुआ_रोटी महुआ की रोटी बनाने के लिए सूखे महुआ को अच्छी तरह से साफ करने के बाद पानी में भिजा दिया जाता है! अच्छी तरह से गल जाने के बाद पानी से निकाल कर उसको सिल पर पीस लेते हैं! फिर उसमें गेंहू या चावल के आंटे को इतना ही मिलाते हैं कि उससे रोटी बनाने में आसानी हो! इसके बाद उसको तावा पर सूखा या फिर तेल में छानकर बना लिया जाता है! #महुआ_गुलगुला महुए का गुलगुला बनाने के लिए ताजा महुआ की जरूरत होती है! महुआ को धुलकर उसको गिलास वगैरह से अच्छी तरह कुचला जाता है फिर हाथों से उसके रस को निचोड़ लेते हैं! उस रस को छानकर उबालते हैं! थोड़ी देर उबालने के बाद उसको दुबारा छन्नी वगैरह से छान लेते हैं इससे उसके अंदर का दुग्ध पदार्थ रस से अलग हो जाता है! फिर थोड़ी देर तक और उबालने के बाद उस रस को चावल या गेहूं के आंटे में मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार कर उसमें थोड़ा सा खाने वाला सोडा मिलाकर भजिये के तरीके से तल लिया जाता है! महुआ के फल के तेल का उपयोग खाने के साथ ही डालडा एवं साबुन उद्योग में भी होता है! इसका तेल बालों और शरीर में लगाने से बाल मजबूत एवं काले होते हैं तथा शरीर की मांसपेशी मजबूत होती है! इसकी खल खेतों में खाद के रूप में बहुत ही उपयोगी होती है! इसके साथ ही मत्स्य पालन करने से पहले तालाब की तैयारी करते समय इसकी खल को तालाब में डाला जाता है इससे तालाब के हानिकारक कीड़े मकोड़े खत्म हो जाते और तालाब में खनिज पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है! महुआ में इतना सारा गुण होते हुए भी आज महुआ बदनाम है जिसका एक मात्र कारण महुआ की शराब है! लेकिन हम लोग महुआ की अच्छाइयों को शराब की चादर से ढंकते समय ये भूल जाते हैं कि तमाम खाद्यान्न और फलों से भी शराब बनायी जाती है! मुझे लगता है चूंकि खाद्यान्न और फलों से बनने वाली शराब का सेवन उच्च तबके के लोग करते हैं इसलिए वो सब बदनामी से बच गये! महुआ एवं महुआ के मंद का सेवन आदिवासी एवं निम्न तबके के लोग करते हैं इसलिए महुआ को कुलीन लोगों ने ही बदनाम किया होगा! "महुआ बदनाम हुआ.. " मनोज पाठक #छैडोरिया |
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गुरुवार, 14 मई 2020
महुआ (मनोज पाठक #छैडोरिया) संकलन तोषण दिनकर
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