सुन मेरे भगवान सुन मेरी पहचान बनादे। आदमी हूँ आदमी मुझे बस इंसान बनादे। नफरत न हो किसी से जब तक है जिंदगी , जान बीते खातिरदारी में मेजबान बनादे। सहारा बेसहारों का भूखे का निवाला बनूँ, बढ़ाता चलूँ सबकी कद कदरदान बनादे। रखूँ समेट कर ये सारे गुलशन जहाँ का, मुस्कुराते गुलों का मियाँ बागबान बनादे। फक्र करे तुझ पर दिनकर ए आसमान, खुशियों से भरा एक हिन्दुस्तान बनादे। तोषण कुमार चुरेन्द्र " दिनकर" |
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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020
मुझे बस इंसान बनादे(मुक्त गजल:-तोषण कुमार चुरेन्द्र "दिनकर" )
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