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रविवार, 18 अक्टूबर 2020

गीत,कविता और कहानी

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गीत,कविता और कहानी


दाई के नवरात(तोषण चुरेन्द्र धनगांव बालोद)

Posted: 18 Oct 2020 06:12 AM PDT

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दोहा गीत
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लाज सभा मा राखले,राहँव सबके मीत।
तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।।
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आगे दिन नवरात के,रिगबिग चमके जोत।
हाँसत घर मा जात हे,आथे जेहर रोत।।
रखबे मुड़ मा हाथ तै,दया मया पीरीत।
तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।।
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करे भगत गोहार सुन,बाढ़त हावय पाप।
छलकत गघरी देख तै,आजा लेबर नाप।।
पीरा हरले भगत के,सत के होवय जीत।
तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।
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दुर्गा दाई के रूप नौ,सबके मनला भाय।
जय माता की संग मा,जय जयकार लगाय।।
तोषण दिनकर हे भजे,साँझ बिहान सुखीत।
तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।।
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तोषण चुरेन्द्र दिनकर
धनगांव, डौंडी लोहारा
बालोद छ.ग.
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