गीत,कविता और कहानी |
दाई के नवरात(तोषण चुरेन्द्र धनगांव बालोद) Posted: 18 Oct 2020 06:12 AM PDT दोहा गीत ====================== लाज सभा मा राखले,राहँव सबके मीत। तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।। ====================== आगे दिन नवरात के,रिगबिग चमके जोत। हाँसत घर मा जात हे,आथे जेहर रोत।। रखबे मुड़ मा हाथ तै,दया मया पीरीत। तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।। ====================== करे भगत गोहार सुन,बाढ़त हावय पाप। छलकत गघरी देख तै,आजा लेबर नाप।। पीरा हरले भगत के,सत के होवय जीत। तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत। ====================== दुर्गा दाई के रूप नौ,सबके मनला भाय। जय माता की संग मा,जय जयकार लगाय।। तोषण दिनकर हे भजे,साँझ बिहान सुखीत। तोर दया ले आज मैं,गावत हावँव गीत।। ====================== तोषण चुरेन्द्र दिनकर धनगांव, डौंडी लोहारा बालोद छ.ग. ====================== |
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