गीत,कविता और कहानी |
Posted: 05 Jul 2020 07:32 PM PDT बरखा लेके आए हे सावन, जाने तै कब आबे । कब सुनबे तै बात मन के,कब मोला पतियाबे । गिन- गिन के गुजारे हौं, मै तोर बिन हर- दिन । मन तरसे बोली सुने बर,कब गुरतुर गोठियाबे । का तोला मया नई हे , तोर दिल मे दया नई हे । सावन तो बरसगे तोर मया ल तै कब बरसाबे । प्यार के कांटा तो अईसे हे जो घाव गहरा देथे । सुरता पाछु छोड़य नही ,तै जाके कहां लुकाबे । अबड़ मया करथौं पगली, देख तो सही आके । मछली पकड़के लाहुं मै,तै भुंज भुंज के खाबे ।😜 कब सुनबे तै बात मन के,कब मोला पतियाबे । **कृष्णा पारकर** |
You are subscribed to email updates from गीत,कविता और कहानी. To stop receiving these emails, you may unsubscribe now. | Email delivery powered by Google |
Google, 1600 Amphitheatre Parkway, Mountain View, CA 94043, United States |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें