गीत,कविता और कहानी |
- गुरू पूर्णिमा (तोषण कुमार चुरेन्द्र)
- आगे सावन सम्मारी (नोहर आर्य) aage sawan sammari(nohar aarya)
- बिहाव (नोहर आर्य) bihaav (nohar aarya)
- छत्तीसगढ़ के गबरू जवान (नोहर आर्य) chhattisgarh ke gabru jawan (nohar aarya)
- झन पूछो सुघराई के (नोहर आर्य) jhan puchho sughrai ke (nohar aarya)
- बादर के डोला मा(नोहर आर्य) badar ke dola ma (nohar aarya)
गुरू पूर्णिमा (तोषण कुमार चुरेन्द्र) Posted: 02 Jul 2020 06:45 AM PDT गुरू पूर्णिमा विशेष गीत गुरूदेव तुम्हारे चरणों में, बसे हैं चारो धाम। नमन मेरा स्वीकार करो, कोटि तुम्हें प्रणाम। मात पिता है प्रथम गुरूजी, चलना हमें सिखाया। सर्दी गर्मी और बरखा में, छत्र की छाँव बिठाया। कभी न पूरा ऋण ये होगा, सुबह से लेकर शाम। नमन मेरा स्वीकार करो, कोटि तुम्हें प्रणाम। शिक्षा दीक्षा दान करे हैं, सत्य मार्ग दिखलाया। पाप पुण्य भेद सारे, गुरूवर ने है बताया। धर्म कर्म और नीति नियम, भरे हैं आठो याम। नमन मेरा स्वीकार करो, कोटि तुम्हें प्रणाम। हमको देने नित रोशनी, बनकर दीपक जल रहे कितनी भी आए बाधाएँ, ढाल सम है डटे रहे चरणों में है तेरे झुके, राम कृष्ण सुखधाम नमन मेरा स्वीकार करो, कोटि तुम्हें प्रणाम। आशीष सदा बनायें रखना, दिनकर की अरदास। बनकर मेरी प्रेरणा, रहना सदा मेरे पास। कारज कोई भी हो पहले, जपूँ मैं तेरा नाम। नमन मेरा स्वीकार करो, कोटि तुम्हें प्रणाम। रचनाकार:- तोषण चुरेन्द्र दिनकर डौंडी लोहारा बालोद छत्तीसगढ़ |
आगे सावन सम्मारी (नोहर आर्य) aage sawan sammari(nohar aarya) Posted: 02 Jul 2020 06:22 AM PDT आगे सावन सम्मारी, धरे हाँथ म पूजा थारी। जाबोन शिव के मंदिर, मनाबोन भोला भंडारी ।। सबो जाबो चलो स॔गवारी, बहु बेटी या होवय कुंवारी । होही मन के मनौती पूरा करबो पूजा डमरू धारी ।। बेल पतिया फूल चढ़ाबो, करके पूजा भोला मनाबो। गांजा धतूरा के हुम देके, चना दार के भोग लगाबो।। सावन के हर सम्मार, ऐकर हेअब्बड परमान। करे पूजा रही के उपासा, होथे पूरा मन के आशा।। ___________*****___________ नोहर आर्य, फरदडीह,जिला बालोद,छत्तीसगढ़ । |
बिहाव (नोहर आर्य) bihaav (nohar aarya) Posted: 02 Jul 2020 06:21 AM PDT * बिहाव * ____ धरे धुराय लगिन मांड़गे, दूल्हा दूल्हिन के करम छांड़गे। जोरा तोरा गठरी गठियागे, दाई ददा के करम नठियागे।। कोरोना कर दिस बाराहाल, सन दू हजार बीस के साल। आसो के बिहाव बाजा न गाजा, सूख्खा रुख्खा हे दूल्हा राजा ।। बिना बराती के दूल्हा, काकर बर बारय मांदी चूल्हा । मोटर हे न तो कार , गाड़ी घोड़ा सब बेकार ।। दू चार बरतिया जाना हे, समाजिक दूरी बढ़ाना हे। सादा नेंग नत्ता करके, नवा दूल्हिन ल लाना हे।। आदर्श बिहाव के रिवाज चलगे, हुड़दंग बराती मन ल खलगे। न डीजे न नांगिन डांस, मंदहा डांसर के नइहे चांस।। __________******___________ नोहर आर्य, फरदडीह,जिला बालोद,छत्तीसगढ़ । |
छत्तीसगढ़ के गबरू जवान (नोहर आर्य) chhattisgarh ke gabru jawan (nohar aarya) Posted: 02 Jul 2020 06:20 AM PDT छत्तीसगढ़ के गबरू जवान, दहाड़िस वो घाटी गलवान। भारत देश के रक्षा खातिर, कर दिस हे प्राण बलिदान ।। छल कपट के चीनी चाल, तोरो होही बारा हाल। कब तक बजाबे लबरा गाल, नइ चले अब ड्रेगन चाल ।। भोरहा छोड़ दे बैंसठ के, भारत अब भारी होगे । तोर छाती म मुंग दरबो, तोर बिमुख दुनिया सारी होगे।। चीन चिन्हाबे घलो नहीं, हो जबे निच्चट छिन भिन्न। जादा अतलंग झन कर बेटा, अब अपन बाँचे के दिन गिन।। सत अहिंसा के भूंइया म, शेखी जादा झन बघार । सिधवा कब शेर हो जाही, हो जही तोर बेड़ा पार।। ___________****___________ नोहर आर्य, फरदडीह,जिला बालोद,छत्तीसगढ़ । |
झन पूछो सुघराई के (नोहर आर्य) jhan puchho sughrai ke (nohar aarya) Posted: 02 Jul 2020 06:19 AM PDT ** झन पूछो सुघराई के ** _____________ चिखला पानी हरदी बनगे, दुल्हिन धरती दाई के । हरियर लुगरा पहिनिस देखो, झन पूछो सुघराई के ।। मेचका झिंगुरा नाच नाच के, गावत हे सुग्घर गाना। रुख राई मन झुमरे लागिन, मंजीरा बजाए पाना।। रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,,,,,,,, ,,,,,,,,,! सुरूर सुरूर पुरवाई के ,,,,,,, ,, ,,,,,,,,,,,,,,,,!! चिखला पानी हरदी बनगे, दुल्हिन धरती दाई के । हरियर लुगरा पहिनिस देखो, झन पूछो सुघराई के ।। नंगारा बजावय बादर ह, बिजली आरती उतारत हे । रद रद रदरद पानी के बूंदी, चिकारा रुंजू बजावत हे ।। उमड घुमड करिया बादर ह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,! चूमे मुँहू रुख राई के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,!! चिखला पानी हरदी बनगे, दुल्हिन धरती दाई के । हरियर लुगरा पहिनिस देखो, झन पूछो सुघराई के ।। कनिहा मटकावत नंदिया नरवा, नवा दुल्हिन कस जावत हे। जस सजनी ह मिले के खातिर, अब्बड के अकुलावत हे।। सुरूज लुकागे करिया बादर में,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,! जस अंचरा म गोरी लुकाई के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!! चिखला पानी हरदी बनगे, दुल्हिन धरती दाई के । हरियर लुगरा पहिनिस देखो, झन पूछो सुघराई के ।। झन पूछो सुघराई के ।। _____________*************__________ नोहर आर्य, फरदडीह, जिला बालोद, छत्तीसगढ़ । |
बादर के डोला मा(नोहर आर्य) badar ke dola ma (nohar aarya) Posted: 02 Jul 2020 06:17 AM PDT * बादर के डोला मा * ________________ बादर के डोला मा बइठके, बरसा रानी आवत हे। सगुन के मंगल बाजा बाजे, गरजे बादर बजावत हे।। चमक चमक के बिजली रानी, सुग्घर झालर सजावत हे। इन्द्र धनुष ह मंढप सजाये, दुलहीन धरती मुस्कावत हे।। छम छम छम बूँद परत हे, पहिरे पइरी कस बाजत हे। डारा पाना रुख राई मिलके, सोला सिंगार ल साजत हे।। चिरई चिरगुन फांफा मिरगा, मिलजुल के सब नाचत हे। अइसे मोला जनावत हावय, एहू मन बरतिया जावत हे।। चिखला माटी के तेल हरदी, गोड़मुड़ ले लगावत हे। बनके माहलिया "नोहर"संगी, बरतिया ल परघावत हे।। बरतिया ल परघावत हे.. _____________**********___________ नोहर आर्य फरदडीह, (डौंडीलोहारा) जिला बालोद,छ.ग। |
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