बड़े दिनों बाद आज लेखनी मचल उठी ✒️✒️✒️✒️✒️✒️ कलम की सुगंध छंदशाला नमन मंच विधा :-घनाक्षरी दिनाँक :-7/6/20 दिन :-रविवार विषय :-बीज --------------------------------------- ..............भारती किसान प्यारे, ..........धरती के हैं दुलारे ....खेतों में ये बीज बोयें, हलबा महान है।।1।। ............बरसे प्रेम प्रकृति की, ........बीज हुआ अंकुरित, ....लेकर जनम नया, भरे परवान है।।2।। ............नव रंग जब चढ़ा, .........सीना ताने वृक्ष खड़ा, ....राहगीर बैठ छाँव, मिटाते थकान है।।3।। ...........पक कर बीज बनो, ........परहित काज करो, ....नाज करे सारा जहां, करे गुणगान है।।4।। ---------------------------------------- तोषण चुरेन्द्र 'दिनकर' डौंडी लोहारा बालोद |
✍कलम की सुगंध---छंदशाला छंद---मनहरण घनाक्षरी --------------------------------------- छींच आया बीज देखो किया खूब काम देखो बनता है इसी से तो देश ये महान है | तर-तर धरे माथ भीगे पाँव पसीना में पेट पलता है देखो इसी से जहान है | गुम हुआ बेचारे तो ना किसी को फिकर है श्रमवीर दानवीर किसे पहचान है | जलेगा दीपक कभी होगा उजियारा तब किरदार आएगा कि चेहरा किसान है | रचनाकार- साहिल नायक"पैग़ाम" 9340389771 |
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रविवार, 7 जून 2020
बीज (तोषण चुरेन्द्र "दिनकर")(साहिल नायक 'पैगाम')
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