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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

खरतरिहा // khartariya




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जरत हे पंवरी तिपत भोमरा हे
आ बईठ थिराले माटी के खोंदरा हे
1-बिहनिया के निकले,मूड़ म बेर ह आगे
माथा के पसीना ले गोड़ ह धोवागे
टपटप राहय घाम भले,कड़मस तोर काम हे
टाटक टंउवा एती-वोती कब तोला अराम हे
माटी माटी म सनाके तै माटी म सोना उपजाये
तोर जांगर बिन कोन परानी,एको कौंरा उठाये
- बड़ बिकट जिनगी के रस्दा,कहूॕ डिपरा कहूॕ खोदरा हे
जरत हे,,,,,,,
2- जिनगी झूलगे करजा म,मरगे मन के आसा
धरम बंटइया बांटिस जइसन,अपन किसमत के पासा
भाग ल तोर संहराथव खरतरिहा,
तोर असन भागमानी
धरती दाई के सेउक बन,कोन हवय अऊ दानी
न गरब न गुमान तोला,न हवय कोनो पछतावा
सरग सिंहासन तही ह पाबे,ये हावे "साहिल" के दावा
कतिक लिखव बखान ग ,जस ममहावत फूल मोंगरा हे
जरत हे पंवरी,,,,,,✍,

        💐 साहिल नायक💐
              गीतकार/शायर
रीवागहन,डौंडीलोहारा,बालोद
             9340389771

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