गीत,कविता और कहानी |
| Posted: 29 Dec 2021 07:49 PM PST आही गा नवा साल रे संगी नवा अंजोर बगराही। छोटे बड़े जिनगी सबो के पाना कस हरियाही। मनभँवरा मोर गुनगुन करही देख के मोंगरा फूल, दसमत गोंदा डोंहरू गुलाब गीत मया के गाही। खेती खार अउ नरवा कछार सरसों संग लहराके, आमा अमरइय्या बसंत बहार कोयली कुहुकुवाही। सुख दुख घाम अउ छंइहा येखर हावय मितानी, बने कन्हैया मोर बाल गोपाल मुरली धुन बजाही। रंग बिरंग मो सजे फुलवरिया धन माटी महतारी, डोल नगारा ढम ढम बजाके फगुआ राग सुनाही। भाई चारा डोरी बंधाही मोर छंइहा भुंइया मा, नवा साल के नवा सूरूज हा नवा संदेशा लाही। तोषण चुरेन्द्र "दिनकर" |
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