गीत,कविता और कहानी |
Posted: 10 Nov 2020 07:13 AM PST तहीं जान का मया के मोहनी छींचे । भटकत रहिथे दिल तोरे आगे पीछे । मया मे मन मोर बोहावय धारे धार । प्रेम-गीत सुनावत हे डोंगरी कछार । सीधा-साधा मन मोर समझय नही । पिरित के डोरी, मोला काबर खींचे । तहीं जान का मया के मोहनी छींचे । पक-पक ले पाऊडर, लगाए रहे तै । मोर गली, घुमे खातिर, आए रहे तै । तै मोला भले ही, अंताज नही पाए । देखत रहेंव टुरी तोला आंखी भींचे । तहीं जान का मया के मोहनी छींचे । तोर सुरता मे रानी मोर दिन पहाथे । रात-रात भर टुरी तोर सपना आथे । डर लगथे तोर सपना देखत देखत । गिर झन जावंव मै खटिया के नीचे ।😜 तहीं जान का मया के मोहनी छींचे । आर के रावटे |
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