गीत,कविता और कहानी |
बेटी ल सूरूज बनावव(तोषण कुमार चुरेन्द्र) Posted: 27 Sep 2020 09:01 AM PDT बेटी दिवस की बहुत बहुत शुभकामना और बधाई के संग एक रचना सादर समीक्षार्थ बेटी ल सूरुज बनावव... करत हवँव गोहार मँय, नवा अँजोर बगरावव। चंदा उइथे रातकून, बेटी ल सूरुज बनावव। एक कुल बेटा सम्हाले, बेटी दूकुल सँवारत हे। बनके दाई इही बेटी, ममता अपन लुटावत हे। परिवार रुप ये बगिया म, फूल सही ममहावव। चंदा उइथे रातकून, बेटी ल सूरुज बनावव।१। पढ़ही लिखही इसकुल म, नाँव देश के करही। दाई ददा गाँव समाज के, मान एकर ले बढ़ही। देवारी के दीया बनाके, घर अंगना सजावव। चंदा उइथे रातकून, बेटी ल सूरुज बनावव।२। चिरई बन चहकन दव, ए खुला आसमान म। बेटी ल घलो सिखावव, कइसे जिथे जहान म। उड़त रहय चारो मुड़ा, अइसन पतंग बनावव। चंदा उइथे रातकून, बेटी ल सूरुज बनावव।३। कोख प पलत बेटी ल, ये दुनिया आन दव। करन देवव सपना पूरा, संगी हो पहिचान दव। बेटा-बेटी के भेदभाव, मन ले दूरिहा भगावव। चंदा उइथे रातकून, बेटी ल सूरुज बनावव।४। तोषण चुरेन्द्र "दिनकर" सरपंच ग्राम पंचायत धनगाँव डौंडी लोहारा जिला बालोद छ.ग.४९१७७१ मो.९६१७५८९६६७ |
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