गीत,कविता और कहानी

* मय देख के रहिगेंव दंग *
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बच्छर भरके अगोरा म,
आज मउका आय हे।
सातो रंग के पोतकी ह,
अंतस म गठियाय हे।।
रंग जाहूँ मय तोला रंगाके,
मया पिरीत के रंग म।
चल न होरी खेलबो गोरी,
राधा किशन कस संग म।।
करिया तोर आँखी के काजर,
ओंठ रचाहूँ लाली रंग ।
लाज के लाली गाल उतरगे,
मय देख के रहिगेंव दंग।।
सादा हे मन तोर गोरी,
सादा मन मोला भाय हे।
तोर हाँसे म चमके बिजली,
जस दाँत मोती जड़ाय हे ।।
नीला नीला आँखी के रंग,
जस नीलम चमकाय हे।
बइरी होगे "नोहर "आँखी,
का जादू म भरमाय हे।।
रंग गुलाबी सपना सजा ले,
हरियर म जिनगी हरियाले।
राखे हंव पिंवरी ल बचा के,
ले जाहूँ तोला हरदी लगाके ।।
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नोहर आर्य,
फरदडीह, जिला बालोद,छत्तीसगढ़ ।
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