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शौर्यगाथा - शहीद गैंदसिंह " नायक " Posted: 20 Jan 2021 03:08 AM PST शौर्यगाथा - शहीद गैंदसिंह " नायक " परलकोट के पावन माटी, रहि रहि माथ नवावत हंव गैंदसिंह बलिदानी जइसन,वीर के गाथा गावत हंव। सात अजूबा राज माड़ के सबले जुन्ना राज रहय परलकोट सितरम के राजा, गैंदसिंह महराज रहय। भुंइया फोरके पुरखा निकलिन,परगट होइन पहाड़ में, एकरे सेती भुमिया राजा कहिथें सब संसार में। चंदा बरन तोर रूप दिखय,छाती लोहा पहड़ हे मुड़ में पागा कसे दुपट्टा, हाथ धरे तलवार हे। चांदा सितरम गढ़चिरौली,दुरिहा गजब अतराब ले जइसन राजा वइसन परजा,जम्मो झन खुशहाल हे क्वार महीना आइस दशेरा मंइया के सुध आथे राजपाठ ला छोड़ गैंदसिंह जगदलपुर बर जाथे। देखिन सुन्ना परलकोट ला, अऊ अइसन मिलही कब मौका भागिन कऊखन जाके बताइन, पेव मराठा अगरेज करा। सुनत कान तुरते ललकारिन,ओ परदेश सिपाही मन लूट मचाइन परलकोट मा,अतलंगहा बरपेली मन। शोषन अतियाचार करत हें,मारकाट डरवावत हें दूर देश ले आए फिरंगी, मुंह के कांवरा नंगावत हे। महतारी के चुंदी हटके,मरवा धरे मरोड़ के लुगरा पोलका चेंदरा परगे मरियादा ला टोरत हें। धमकिन गोरा संग सिपाही, परजा ला धमकावत हें राजमहल के तारा ऊपर अऊ तारा ला लगावत हें। कातिक महीना संग सिपाही, लहुटिन अपन डेरौठी में, देख होय हलाकान गैंदसिंह तारा लगे घर कोठी में। राज रहय परदेशी मन के,देश हा ऊंकर गुलाम रहिस, शोषन अतियाचार सहंय फेर आगू कोनो आय नहीं। ओ बेरा में गैंदसिंह जी,परजा ला अपन जगाय रिहिस, भारत ला आजाद करे बर,पुरखा हमर शुरुआत करिस। झुकौ झनी अनियाय के आगू,माथ उठा के जी लेबो काट लेबो बइरी के मुंड़ ला,नइते मुंड़ कटा देबो। टीप पहाड़ी चढ़े माड़िया,ढोल नंगारा बजावत हे रूख धांवरा,हरियर डारा,संग खबर भेजवावत हे। बिपत परे हे परलोक में, सुनता हमर छरियाय झनी मरजी अपन बताहू तुरते,डारा हा अइलाय झनी। सदी अठारा,बछर चौबीसा,चौबिस तिथि दिसंबर के शुरू करिन मुक्ति आंदोलन, सितरम ले चांदा तक के। युद्ध के छाइस करिया बादर,चमक उठिस तलवार के धार, गरजे दनादन गोला बारूद, गोली के होइस बौछार। कोनो चलाइन तीर धनुष अऊ कोनो लउठी बेड़गा ला, कोनो भांजे बरछी भाला, कोनी फरसा टंगिया ला। देख परंय परदेश सिपाही, घेर के पकड़े बांधे डोर पटक पटक के,मार मार के,हाथ गोड़ ला देवंय टोर। मंतर मारे गैंदसिंह जी,नेवतिस मदरस माछी ला, अइसन चाबिस ओ बइरी ला,रमजत भागिन आंखी ला। चेलिक मन के चाल निराला, कूद परिन मोटियारी मन, मरे मरद जब रन भुंइया मा,बीड़ा उठाइन नारी मन। जुन्ना रीत ले लड़िन लड़ाई, जुन्ना रहय हथियार हमर, गोरा मन के गोला बारुद, टोर डरिस सपना ला हमर। लड़िन लड़ाई अट्ठारा दिन,मान ला अपन बचाए बर। ताज बाचही भारत मां के,नवां सुराजी लाए बर। खेलिन अइसन जाल फिरंगी, चारो मुड़ा ले घेरागे, परलकोट में अलहन होगे, गैंदसिंह पकड़ागे। मातृभूमि के रखवाला ला,बिदरोही कहिके ठहराइन देशद्रोह के करिन मुकदमा, डाका के इलजाम लगाइन। बांधिन चारों हाथ गोड़ ला,तन के कपड़ा उतार देइन, भुमिया राजा परलकोट के,कारागार में डाल देइन। देश मेंआइस ओ करिया दिन,अट्ठारा सौ पच्चीस के गैंदसिंह बर मौत बनके, महीना जनवरी बीस के। राजमहल के आगू लाइन,ओ यमदूत सिपाही मन, थमगे सांस देखइय्या मन के,सोच के राजा के अंजाम। नमन करिस धरती माता ला धुर्रा अपन लगाइस माथ, अतके दिन के साथ हमर हे,गलती बर कर देहू माफ। मौत के आगू खड़े गैंदसिंह, डोरी में गला लाइस हे, आज्ञा पाइस जल्लादी अऊ फंदा में ओला झुलाइस हे। देखिस मौत सिहरगे साजा,बियाकुल होय सराई हा, अधिर होय जंगल के मिरगा अऊ दंतासिरी माई हा। राजा रहे, परजा के खातिर,फरज ला अपन निभाए तैं, जनम धरे तैं,ओ माटी के,दूध के करजा उतारे तैं। तैं हल्बा के वीर सपूत, हमला गजब गुमान हे, तोर सहादत के परसादे बने हमर पहिचान हे। देशप्रेम, सम्मान का होथे,"भोंदू" ला पाठ पढ़ये तैं मातृभूमि के मरियादा बर वीर सहादत पाये तैं। जुग जुग अमर रहय तोर गाथा, अमर रहय तोर गांव, परलकोट के पावन माटी, गैंदसिंह तोर नाम। ************************************* * शहीद गैंदसिंह जी की प्रमाणित जन्मतिथि अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। अतः जनश्रुति के अनुसार पहाड़ से प्रगट होने की बात कही जाती है। उपलब्ध अभिलेख एवं जनश्रुति के अनुसार 20 जनवरी शहीद गैंदसिंह सहादत दिवस पर उनके पराक्रम को छत्तीसगढ़ी में पिरोने का छोटा प्रयास....। जै जोहार ईश्वर भंडारी, महासचिव, छत्तीसगढ़ हल्बा आदिवासी समाज भिलाई नगर। मोबाइल - 9425562627 |
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